दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी सरकार को भाजपा ने स्कूल व मोहल्ला क्लीनिकों के मामले में कटघरे में खड़ा किया है। शुक्रवार को दिल्ली के सरकारी स्कूलों और मोहल्ला क्लीनिकों को लेकर आरोप लगाया कि केजरीवाल राज में पिछले चार साल के दौरान दिल्ली के पांच लाख बच्चे सरकारी स्कूलों में फेल हुए हैं, जिनमें से चार लाख बच्चों को दोबारा स्कूल ने दाखिला देने से इंकार कर दिया।
शुक्रवार को पार्टी कार्यालय में प्रेस कांफ्रेंस के दौरान केंद्रीय मंत्री विजय गोयल ने आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि 9वीं में जो बच्चे फेल हुए, उनमें से 52 फीसदी को दोबारा दाखिला नहीं मिला। उन्होंने ये भी कहा कि भाजपा की ओर से फेल बच्चाें के अभिभावकों का सम्मेलन 16 अप्रैल को किया जाएगा। ताकि दिल्ली सरकार के खोखले दावों की तस्वीर सबके सामने आ सके।
सरकारी स्कूलों के हालातों पर पूछे गए एक सवाल पर गोयल ने बताया कि दिल्ली में 1028 स्कूलों में से 800 स्कूलों में प्रिंसिपल नहीं हैं। सरकार का दावा है कि 8 हजार कमरे बनाए, जबकि ये झूठ है। एक कक्षा में 80 से 100 बच्चे हैं। तीन शिफ्ट में बच्चे पढ़ते हैं। ये शिफ्ट 30-30 बच्चों की सोमवार, मंगलवार और बुधवार को होती हैं।
इस दौरान दक्षिणी दिल्ली के सांसद रमेश बिधूड़ी ने बताया कि केजरीवाल सरकार ने 9वीं कक्षा में 33 प्रतिशत बच्चों को जान-बूझकर फेल किया। गोयल ने कहा कि दिल्ली में 1028 स्कूलों में लगभग 16 लाख बच्चे पढ़ते हैं। 9वीं के 52 प्रतिशत, 10वीं, 12वीं के 91 प्रतिशत और 11वीं के 58 प्रतिशत बच्चों को दोबारा दाखिला नहीं दिया गया। इनके अलावा 27 हजार से ज्यादा शिक्षकों के पद खाली पड़े हुए हैं। पीजीटी गणित के लिए 135 में से एक भी शिक्षक पास नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि सरकार ने पांच लाख बच्चों के साथ जो नाइंसाफी की है, इसका खामियाजा उन्हें उठाना पड़ेगा। जनता चुनाव में इसका उचित जवाब देगी।