विधेयक पर चर्चा की शुरूआत करते हुए कांग्रेस सदस्य के सी राममूर्ति ने कहा कि इस विधेयक के दूरगामी परिणाम होंगे, इसलिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण है।उन्होंने कहा कि विधेयक में मध्यस्थता केंद्र का प्रावधान है। लेकिन इसमें जटिल कानूनी उलझनों के लिए कोई समाधान नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा कि पहले इस विधेयक को लेकर जब बात उठी थी तब सामाजिक न्याय का आश्वासन दिया गया था। लेकिन विधेयक में यह नहीं है।राममूर्ति ने कहा कि विधेयक में अनुचित व्यापार पर दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान है। पर अनुचित व्यापार को भारतीय प्रतिस्पर्धा के दायरे में रखा गया है। ‘‘यह विरोधाभास की स्थिति है।’’ उन्होंने कहा कि विधेयक में भ्रामक विज्ञापनों पर जुर्माने का प्रावधान किया गया है जो उचित है। लेकिन प्रमोटर के लिए और विज्ञापन करने वाली मशहूर हस्तियों को दंड के दायरे से बाहर क्यों रखा गया है ? भाजपा के विजय गोयल ने कहा कि ग्राहकों को और सुविधा देने के लिए कानून में संशोधन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं की जरूरतें बदल रही हैं और समय भी काफी बदल चुका है। उन्होंने कहा कि पहले राशन और अन्य चीजों को खरीदने के लिए लाइनों में लगना पड़ता था। लेकिन अब वैसी स्थिति नहीं रह गयी है। बाजार में उत्पादों की कमी नहीं है। गोयल ने कहा कि अब जरूरत इस बात की है कि उपभोक्ताओं को कैसे संरक्षण प्रदान किया जाए। उपभोक्ता बाजार काफी बढ़ गया है। मध्यम वर्ग की आंखों में एक सपना है और उनके हितों की रक्षा करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि ग्राहकों को और सचेत करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं के जागरूक होने के साथ ही शिकायतों की संख्या भी बढ़ेगी। उन्होंने सवाल किया कि उन शिकायतों का निपटारा कैसे होगा क्योंकि पहले से ही काफी मामले लंबित हैं। उन्होंने आशंका जतायी कि ऑनलाइन शिकायतें भी बढ़ेंगी। तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने इस विधेयक को प्रवर समिति में भेजे जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि प्रवर समिति में भेजे जाने से विधेयक की गुणवत्ता में सुधार होगा। विधेयक के प्रावधानों की चर्चा करते हुए ब्रायन ने कहा कि इस संबंध में राज्यों को भी अधिकार मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी अधिकार केंद्र के पास रहेंगे जबकि आर्थिक भार राज्यों पर रहेगा। चर्चा में भाग लेते हुए अन्नाद्रमुक के आर वैद्यलिंगम ने भी उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा की जरूरत पर बल दिया।