– पहले रोग रेज से परेशान थे अब पार्किंग रेज से- गोयल ;
– पार्किंग के लिए प्लानिंग और सावजनिक परिवहन को ठीक करने की आवश्यकता- गोयल
नयी दिल्ली, 29 नवंबर, 2019 : सांसद और पूर्व दिल्ली भाजपा अध्यक्ष विजय गोयल ने संसद में दिल्ली की पार्किंग की समस्या का मुद्दा उठाया. गोयल ने संसद में कहा-
"अध्यक्ष जी जो मैं मुद्दा उठा रहा हूँ वो देखने में छोटा लगता है, पार्किंग का मुद्दा, पर आगे आने वाले समय के अंदर देश का मुझे पता नहीं दिल्ली के अंदर तो आधे से ज्यादा झगडे, लड़ाइयां जो हैं वो पार्किंग को लेकर होने वाले हैं. बिहारी जी का एक दोहा था ""सतसइया के दोहरा ज्यों नावक के तीर। देखन में छोटे लगैं घाव करैं गम्भीर।।" अध्यक्ष महोदय, हर रोज़ पुलिस को 250 कॉल आती हैं सिर्फ पार्किंग के झगडे को लेकर. हम रोड रेज की बात करते हैं पर अब पार्किंग रेज भी है. पिछले दिनों आपने खुद देखा होगा तीस हज़ारी में पुलिस और वकीलों की झड़प हुई उसका मूल कारण पार्किंग था. चांदनी चौक के लाल कुआँ में भी कुछ महीने पहले एक झगडे ने साम्प्रदायिक रूप ले लिया. उसका मूल कारण भी किसी के मकान के आगे गाडी पार्क होना था. हर महीने एक इंसान की मौत पार्किंग की लड़ाई के कारण हो जाती है. 23 साल के एक नौजवान का मर्डर हुआ पिछले साल, मॉडल टाउन में भी हुए झगडे जिसमें तीन लोग मरे पार्किंग के कारण थे. एक नहीं ऐसी बहुत घटनाएं हैं. अध्यक्ष जी दिल्ली के अंदर 1 करोड़ वाहनों को खड़े होने के लिए जगह चाहिए किन्तु उसके लिए पार्किंग नहीं है. करीब 70 लाख तो टू-व्हीलर हैं, 30 लाख से ज्यादा गाड़ियां हैं जिनमें बस और अन्य चौपहिया वाहन शामिल हैं. 1 लाख ऑटो हैं. सड़कों पर लगता है अब लोग नहीं गाड़ियां रहती हों. सिर्फ 96 हज़ार गाड़ियों के खड़े होने की जगह है. और पिछले दिनों आपने देखा होगा की हमने स्टिल्ट पार्किंग बनायीं जिसमें लोग गाडी कड़ी करें. पर लोगों को आदत ही नहीं है गाडी पार्किंग में खड़ी करने की. वैसे ही जैसे टॉयलेट होते हुए भी दीवार पर खड़े हो जाते हैं , फिर कई बार ऐसे लोगों को रोकने के लिए भगवान कि मूर्तियां लगानी पड़ती हैं. इसलिए अध्यक्ष मेरा ये कहना है कि कारण इसका क्या है कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट नहीं है. दिल्ली में सरकार ने पब्लिक ट्रांसपोर्ट की अगर उचित व्यवस्था नहीं की. पहले करीब 5000 बसें थी वो भी घट के 3700 रह गयी. नयी बसें अगर नहीं आएंगी तो लोग कारें खरीदेंगे तो जाहिर तौर पर उनके लिए और पार्किंग बनानी होगी. दूसरी सबसे बड़ी परेशानी है लास्ट मील कनेक्टिविटी की. अगर लास्ट मील कनेक्टिविटी नहीं है तो आप अपनी गाडी लेकर ही बाहर निकलेनेगे तो और कारों का प्रयोग होगा. अध्यक्ष जी मैं कहना चाहता हूँ कि पार्किंग के लिए अभी से सोचना पड़ेगा. प्रॉपर प्लानिंग, पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए और ये पहचान करनी होगी कि कहाँ-कहाँ पर पार्किंग होगी. एमसीडी के भी करीब 450 पार्किंग लॉट्स हैं. अगर दिल्ली सरकार ने ध्यान नहीं दिया और साथ में पीडब्लूडी, एमसीडी, डीडीए इन सबके साथ काम नहीं किया और लास्ट मील कनेक्टिविटी की बात नहीं की तो मैं ये समझता हूँ की इससे पार्किंग की समस्या बढ़ेगी.