1. गोयल के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल डीईआरसी चैयरमेन से मिला
2. कोविड के दौरान बंद दुकानों एवं फैक्टरियों से फिक्सड चार्ज वसूलना गलत
3. डेसू कर्मचारियों की पेंषन उपभोक्ताओं से वसूलना गलत है
4. फिक्सड चार्जेज मनमाने तरीके से वसूल रही हैं बिजली कम्पनियां
नई दिल्ली 8 सितम्बर, 2021: दिल्ली के लोगों के बिजली के बढ़ते बिलों को लेकर आज पूर्व केन्द्रीय मंत्री विजय गोयल के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल डीईआरसी के नए चैयरमेन षबीहुल हुसनैन से मिला। प्रतिनिधिमंडल में उनके साथ राजीव काकरिया, यूआरडी के महासचिव सौरभ गांधी, सचिव बी.बी. तिवारी, बिजली विषेशज्ञ ए.के दत्ता, एच.एम. षर्मा थे।
गोयल ने बताया कि पिछले कई वर्शों से फिक्सड चार्जेज बिना किसी वजह के 6 गुना बढ़ा दिए गए है, फिक्सड लोड बढ़ाने का तो नोटिस दिया जाता है, किन्तु फिक्सड लोड कम होने पर कोई नोटिस उपभोक्ता को नहीं मिलता है, ताकि वो पैसों की बचत कर सके। फिक्सड चार्जेज को मैक्सीमम डिमांड एंडीकेटर (एमडीआई) के हिसाब से चार्ज लिया जाना चाहिए।
लॉकडाउन के दौरान जब अधिकतर व्यावसायिक प्रतिश्ठान दुकान, फैक्टरी इत्यादि बंद रहे, मगर फिक्सड चार्जेज के नाम पर जनता से भारी वसूली की गई, जिसमें राहत दी जानी चाहिए।
गोयल ने कहा कि बिजली के प्रति यूनिट दामों के अलावा बिजली कम्पनियां कई तरह के गलत षुल्क वसूल कर रही है। जैसे पावर परचेस कॉस्ट एग्रीमेंट, पेंषन चार्ज व सरचार्ज, जिसके बारे में कम्पनियां कोई भी हिसाब नहीं दे पा रही।
गोयल ने बताया कि नया बिजली कनेक्षन देने के नाम पर भी बिजली कम्पनियां भ्रश्टाचार कर रही है। एक तरफ तो झुग्गी-झोंपड़ी, अनधिकृत कालोनी सब जगह बिजली के कनैक्षन दिए गए हैं, पर अब 15 मीटर से ऊंची बिल्डिंगों में कनैक्षन देने के लिए भ्रश्टाचार करके पैसे खाकर कनैक्षन दिए जा रहे हैं। बिजली कम्पनियों को इस बात से क्या मतलब है कि बिल्डिंग की ऊंचाई कितनी है। ये एम.सी.डी. को देखना चाहिए।
आरडब्ल्यूए के राजीव काकरिया ने कहा कि दिल्ली में पीक डिमांड लगभग साढ़े 7 हजार मेगावॉट है तो फिक्स चार्जेज सबके मिलाकर साढ़े 7 हजार मेगावॉट होने चाहिए, पर ये बिजली कम्पनियां दिल्ली के नागरिकों से 21 हजार मेगावॉट के फिक्स चार्ज वसूल रही है। जबकि बिजली कम्पनियों का इंफ्रास्ट्रक्चर 21 हजार मेगावॉट की तरह नहीं है। अगर इनका इंफ्रास्ट्रक्चर इतना होता तो दिल्ली में कभी भी बिजली ना जाती और हमेषा आपको क्वालिटी बिजली मिलती।
यूआरडी के महासचिव सौरभ गांधी ने कहा कि पावर परचेस एडजस्टमेंट कॉस्ट को लगाने का फार्मूला गलत ढंग से बनाया गया है, जिसे सिर्फ फ्यूल की कीमतों के उतार-चढ़ाव के अनुसार बिजली की खपत पर ही लगाया जाना चाहिए, बाकी किसी अन्य मद में वसूला नहीं जाना चाहिए।
ए.के. दत्ता ने कहा कि बिजली अपीलीय न्यायधिकरण में कई मामलों की सुनवाई के दौरान उपभोक्ताओं के विरूद्ध कुछ ऐसे फैसले आए हैं, जिससे कई हजार करोड़ जनता से वसूलने की कम्पनियों को आने वाले बिलों में वसूलने की राह मिल गई है, जनता के हित को ध्यान में रखते हुए कमीषन को इन फैसलों के खिलाफ ऊपरी अदालत में चुनौती दिया जाना आवष्यक है।