नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। बिजली उपभोक्ताओं की परेशानी दूर करने की मांग को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री विजय गोयल के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग (डीईआरसी) के शाबिहुल हसनैन से मिला। उन्होंने बिजली के स्थायी शुल्क कम करने और उपभोक्ताओं से वसूले जा रहे अन्य शुल्कों को खत्म करने की मांग की।
कुछ वर्षों में बिजली के स्थायी शुल्क में छह गुना बढ़ोतरी हुई
गोयल ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में बिजली के स्थायी शुल्क में छह गुना बढ़ोतरी की गई है। उपभोक्ताओं को लोड बढ़ाने का तो नोटिस दिया जाता है, परंतु खपत कम होने पर लोड कम करने की जानकारी नहीं दी जाती है। उन्होंने कहा कि लाकडाउन के दौरान व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद थे परंतु व्यावसायिक उपभोक्ताओं से भारी भरकम स्थायी शुल्क वसूला गया है जिसे वापस किया जाना चाहिए।
नया बिजली कनेक्शन देने के नाम पर हो रहा भ्रष्टाचार
उपभोक्ताओं से स्थायी शुल्क के साथ ही पेंशन अधिभार सहित अन्य तरह के शुल्क वसूले जाते हैं। नया बिजली कनेक्शन देने में भ्रष्टाचार किया जा रहा है। 15 मीटर से ऊंची इमारतों में बिजली कनेक्शन देने में उपभोक्ताओं को परेशान किया जा रहा है। इमारत की ऊंचाई देखना नगर निगम का काम है न कि बिजली कंपनियों का।
दिल्ली में अधिकतम मांग साढ़े सात हजार मेगावाट
बिजली उपभोक्ताओं के लिए आवाज उठाने वाले राजीव काकरिया ने कहा कि दिल्ली में अधिकतम मांग साढ़े सात हजार मेगावाट है, लेकिन स्थायी शुल्क 21 हजार मेगावाट का वसूला जा रहा है।
बिजली अपीलीय न्यायधिकरण के फैसलों को ऊपरी अदालत में चुनौती देने की उठी मांग
यूनाइटेड रेजिडेंट आफ दिल्ली (यूआरडी) के महासचिव सौरभ गांधी ने कहा कि बिजली की खपत के अनुसार बिजली खरीद समायोजन लागत शुल्क (पीपीएसी) निर्धारित होना चाहिए। बिजली विशेषज्ञ एके दत्ता ने कहा कि उपभोक्ताओं के खिलाफ बिजली अपीलीय न्यायधिकरण के फैसलों को ऊपरी अदालत में चुनौती दी जानी चाहिए।