विजय गोयल, केंद्रीय राज्य मंत्री
भारत के इतिहास में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए पहली बार लोकपाल की नियुक्ति की है। भ्रष्टाचार के खिलाफ यह इस सरकार का ऐसा कदम है जिसका प्रभाव देश की राजनीति में हमेशा महसूस किया जाएगा। पहली बार देश के शीर्ष पदों को सीधे ऐसी जांच और निगरानी के तहत लाया गया है। 1960 के दशक से ही लोकपाल के लिए मांग उठती रही है। 1977 में लोकपाल बिल आया था, तब भी हमारी जनता सरकार थी। इसके बाद 1999 में यह बिल आया, तब भी विपक्ष ने इसमें अड़ंगा लगा दिया। अन्ना आंदोलन भी कांग्रेस के भ्रष्टाचार के खिलाफ हुआ और यह कांग्रेस विरोधी आंदोलन बन गया। इस सरकार ने भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए एक के बाद एक लगातार कदम उठाए। काले धन पर एसआइटी बनाई। बेनामी संपत्ति पर शिकंजा कसने के लिए प्रावधान किए। नोटबंदी जैसे कठोर कदम उठाए। मोदी सरकार पारदर्शिता वाली है। हम चाहते हैं कि देश में भ्रष्टाचार समाप्त हो, जो कांग्रेस के राज से चलता आ रहा है।
सरकार ने विपक्ष की ओर से कांग्रेस के लोकसभा के नेता मल्लिकार्जुन खडग़े से भाग लेने के लिए कई बार अनुरोध किया। बार-बार इसके लिए उन्हें आमंत्रित किया गया। दुर्भाग्य की बात है कि वे इसमें शामिल ही नहीं हुए। उनकी वजह से इस चयन में इतनी देरी हुई। कांग्रेस कभी भी शीर्ष पद को ऐसी किसी निगरानी के तहत लाने के पक्ष में है ही नहीं। इतने दशकों से कांग्रेस ने अपने राज में लोकपाल को लागू नहीं होने दिया। क्योंकि इनका मानना है कि परिवार के ही लोग या फिर उनके इशारे पर काम करने वाले लोग ही शीर्ष पद पर रहें। दोनों ही स्थितियों में अगर उनकी पोल खुल गई तो संकट आ जाएगा। इनकी नियुक्ति के बाद अब लोकसेवकों के खिलाफ मिलने वाली शिकायतों की जांच की जा सकेगी और उनके खिलाफ अभियोजन भी किया जा सकेगा। इसमें प्रधानमंत्री से लेकर मंत्री और सांसद सभी शामिल होंगे। भ्रष्टाचार को लेकर यह सरकार लगातार बहुत कठोर रही है और इसने लगातार भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए हैं।
दशकों से सरकारी व्यवस्था में जिन भ्रष्टाचारियों को बढ़ावा दिया जाता रहा है, अब उनके दिन लदने वाले हैं। लोक सेवक हो कर अगर किसी ने भ्रष्टाचार किया तो एक साल के अंदर वह हर हाल में जेल की सलाखों के पीछे होगा। शिकायत मिलने के 30 दिन के अंदर प्रारंभिक जांच शुरू हो जाएगी। सामान्य तौर पर इसे छह महीने में पूरा कर लेना होगा। जांच में किसी वजह से देरी भी हुई तो एक साल के अंदर इसे हर हाल में पूरा करना ही होगा। अब तक जितना कचरा जमा हुआ है, वह सारा साफ हो जाएगा। पूरी सरकारी व्यवस्था को साफ-सुथरा बनाया जाएगा। इसे पूरी शक्तियां दी गई हैं। हमारी पूरी कोशिश है कि यह एक सक्षम संगठन बन सके।